Thursday, July 29, 2021

आज माननीय प्रधानमंत्री जी ने आरक्षण को लेकर एक लैंडमार्क निर्णय लिया| अब मेडिकल और डेंटल के अंडरग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट कोर्स में ओबीसी वर्ग के छात्रों को २७ % आरक्षण मिलेगा वहीं आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के छात्रों को १०%| मेरी समझ में ये नहीं आता कि आरक्षण देना कब से लैंडमार्क निर्णय होने लगा| जाति के आधार पर मिलने वाले आरक्षण में योग्यता का क्या मूल्यांकन होता है ये किसी से छुपा नहीं है| अब उसी व्यवस्था में समाज के दूसरे वर्गों को मिलाकर पुरे सिस्टम को कमज़ोर बनाने का जोखिम लेना किस दृष्टि से लैंडमार्क निर्णय हो गया | एक ओर माननीय प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य लेकर चल रहे  हैं और दूसरी ओर समाज के चुनिंदा वर्गों को, जिन्हें सीधे शब्दों में बिना लाग लपेट के वोट बैंक कहा जाना चाहिए, आरक्षण की बैसाखियाँ पकड़ा रहे हैं| समाज का सवर्ण वर्ग कब तक वोट बैंक की राजनीति की बलि चढ़ता रहेगा?

ये बात समझ से परे है कि जाति प्रमाणपत्र दिखाकर कई अयोग्य व्यक्ति पढ़ाई, नौकरी और पदोन्नति में जगह बनाते जा रहे हैं और किसी को इसके दूरगामी परिणामों की चिंता नहीं सता रही| ये बीमारी अभी तो मुख्य रूप से सरकारी विभागों तक सीमित है और अगर यही (अ)व्यवस्था रही तो आने वाले कुछ वर्षों में पूरा सरकारी सिस्टम अक्षमता के बोझ तले दब जायेगा| तब विश्वगुरु बनने का सपना तो छोड़िये, रेंगकर चलने की भी स्थिति संभवतः नहीं रहेगी|